Vehicle Stopping Distance and Time Question And Answer
भौतिक शास्त्र (The physics)
* परिभाषा और जनक *
परिभाषा – physics शब्द fusis शब्द से बना है | fusis शब्द अरस्तु ने दिया है। fusis का अर्थ nature होता है। अत विज्ञान का वह शाखा, जिसमें प्रकृतिक घटनाओं का अध्ययन किया जाता है, उसे भौतिक शास्त्र कहते हैं।
जनक – भौतिक शास्त्र का जनक न्यूटन है। यह इंग्लैंड का रहने वाला था। इसका पुस्तक प्रिंसिपिया है। इसने गुरुत्वाकर्षण चल गति का नियम, वर्णपट्ट या स्पेक्ट्रम का खोज किया है। वर्णपट्ट 7 रंगो का समुह है, जिसमें सबसे उपर लाल, मध्य में हरा और सबसे नीचे बैगनी रंग होता है। न्यूटन ने प्रकाश का कण सिद्धांत दिया था।
* गति और विराम *
:- परिभाषा
:- गति का प्रकार
:- गति संबंधित शब्दावली
:- गति संबंधि न्युटन का नियम
:- गति संबंधि ग्राफ
:- गति संबंधि गैलेलियो का समीकरण
(1) परिभाषा – किसी स्थिर बिदु के सापेक्ष समय के साथ यादि स्थान परिवर्तन होता है, तो उसे गति में और स्थान नहीं परिवर्तन होने पर विराम में कहते हैं ! एक ही वस्तु एक ही समय में किसी के लिए गति मे और किसी के लिए विराम में होता है। गतिशिल ट्रेन में बैठा व्यक्ति सामने वाले व्यक्ति के लिए विराम में और प्लेटफार्म पर खड़े व्यक्ति के लिए गति में होता है। एक ही दिशा में समान चाल से चल रही दो ट्रेनों में आमने सामने बैटा व्यक्ति विराम में कहलाता है !
How Speed Affects Braking Distance
(2) गति का प्रकार – किसी वस्तु के द्वारा तय किए गए पथ के आकर के आधार पर गति को निम्न भागों में विभाजित किआ जाता है –
(क) रैखिक गति (Linear motion) – जब कोई वस्तु किसी सरल पथ पर या वक्र पथ पर गति करता है, तो उसे रैखिक गति कहते हैं। उदाहरण – छत से गिराया गया पत्थर, छत से फेंका गया पत्थर, बन्दुक से चली गोली आदि ।
(ख) वृतीय गति (Circular motion) – जब कोई वस्तु किसी वृताकार पथ में गति करता है, तो उसे वृतीय गति या वर्तुल गति कहते है। उदाहरण – ग्रहो, उपग्रहो कि गति।
(ग) घूर्णन गति (Rotatory motion) – अक्ष के चारों ओर वृताकार पथ पर कि गई गति को घुर्णन गति कहते है । उदाहारण – ग्रहो कि गति।
(घ) दोलनी गति (Oscillatory motion) – किसी मध्य बिंदु के इर्द-गिर्द की जानेवाली गति को दोलनी गति कहते है। उदाहरण .-झूले की गति, पेंडुलम की गति, वाष्प इंजन के पिस्टन की गति, सिलाई मशीन के सूई की गति आदि ।
(ड) आवर्त गति (Periodic motion) – एक निश्चित समय अन्तराल के बाद एक बिंदु पर बार-बार पहुचने के क्रिया को आवर्त गति कहते है । उदाहारण पेड्लम की गति, झूले की गति आदि।
(च) यादृच्छिक गति (Random motion) – जब किसी वस्तु के द्वारा तय किए गए पथ का आकार लगातार बदलता रहता है, यादृच्छिक गति या अनियमित गति कहते है। उदाहरण – मक्खी की गति, फुटबाल के पीछे खिलाडो की गति, पतंग की गति आदि।
(छ) प्रक्षेप्य गति ( Projectale motion)
– प्रक्षेप्य (Projectile) – पृथ्वी की सतह के समीप जब किसी कण को धरातल के साथ कुछ कोण बनाते हुए उपर की ओर फेंका जाता है तब वह कण वक्र पथ पर गतिशील होता है। यही कण प्रक्षेप्य कहलाता है।
– प्रक्षेप्य गति (Projectile Motion) – जिस गति से प्रक्षेप्य अपने पथ पर गतिशील रहता है, उसे प्रक्षेप्य गति कहते हैं।
– प्रक्षेप्य का विन्दु (point ofanjection)- जिस बिंदु से प्रक्षेप्य को प्रक्षेपित किया जाता है वह बिन्दु प्रक्षेप्य का बिंदु कहलाता है।
– प्रक्षेस का कोण (Angle at projection) – धरातल के साथ जिस कोण से प्रक्षेप्य को को भेजा जाता है, उसे प्रक्षेप्य का कोण कहते हैं।
– प्रक्षेप्य पथ (Trajectory) – धरातल से प्रक्षेप्य के प्रारम होने से लेकर पुनः धरातल पर लौटने तक जिस प्रथ का निर्माण होता है, उसे प्रक्षेप्य पथ कहते है।
– उड़यन काल (Time of flight) – प्रक्षेप्य के प्रारंभिक बिन्दु से अन्तिम बिन्दु तक यात्रा करन मे लगा समय को उड़यन काल काल कहते है , कण द्वारा प्रक्षेप्य पथ को तय करने में लगा समय को उडयन काल कहते है !
Vehicle Stopping Distance and Time
(क) दुरी (Distance) – प्रारंभिक बिंदु और अंतिम बिंदु के बिच की कुल लम्बाई को दुरी कहते हैं।
* राशि – अदिश
* मात्रक – मिटर
* विमा – [L]
* गुण – सदैव धनात्मक
(ख) विस्थापन (Displacement) – प्रारंभिक बिंदु और अंतिम बिंदु के बीच की न्युनतम लम्बाई को विस्थापन कहते है।
* राशि – सदिश
* मात्रक – मिटर
* विमा – [L]
* गुण – धणात्मक,ऋणात्मक और शुन्य
(ग) चाल (Speed) – इकाई समय में तय की गई दुरी को चाल कहते है।
* राशि – अदिश
* विमा – [LT-1]
* गुण – सदैव धणात्मक
* चाल – दूरी/समय
* औसत चाल = तय कि गई कुल दुरी/ लगा कुल समय
(ग) वेग (Velocity) – इकाई समय में निश्चित दिशा ने तय कि गई दुरी को वेग कहते है।
* राशि – सदिश
* व्यंजक – वेग = विस्थापन / समय
* मात्रक — m/s, ms-1
* विमा – [LT-1]
* औसत चाल = प्रारंभिक चाल + अंतिम चाल / 2
(घ) त्वरण (Acceleration) — किसी वस्तु के वेग में होनेवाले परिवर्तन के दर का त्वरणा कहते है। त्वरण का खोज गैलेलियो ने किया था। जब वेग में ऋणात्मक परिवर्तन होता है, उसे मदन (Retardation) कहते है। त्वरण को निम्न प्रकार में विभाजित किया जाता है।
– समान त्वरण (Uniform acceleration) – जब वेग में समान रूप से परिवर्तन होता है, उसे समान त्वरण कहते है।
– असमान त्वरण (Non- uniform acceleration) – वेग में भिन्न परिवर्तन होने को असमान त्वरण कहते है .
– शून्य त्वरण – जब वेग मे कोई परिवर्तन नही होता है. उसे शून्य त्वरण कहते है।
त्वरण = अंतिम चाल- प्रारंभिक चाल / समय
a = v-u/t
* मात्रक -m/s2
* विमा – [LT-2]
(4) गति का न्यूटन का नियम (Laws of motion)
(क) पति का प्रथम नियम (Newton’s first Law) – इस नियम के अनुसार प्रत्येक वस्तु अपना अवस्था में तब तक रहना चाहता है. जब तक कि उस पर कोई बाहरी बल न लगे अर्थात यदि वस्तु गति में है, तो गति में रहना चाहता है। और यदि विराम है तो विराम में रहना चाहता है।
– न्यूटन के प्रथम नियम से बल का परिभाषा मिलता है। बल एक प्रकार का धक्का या खिंचाव है। – न्यूटन के प्रथम नियम से जड़त्व (Law of lnertia) का जानकारी मिलता है। जड़त्व का नियम वही है जो न्यूटन का प्रथम नियम है।
(a) न्यूटन का प्रथम नियम या जडत्व के नियम का उदाहरण–
* रूकी हुई बस के अचानक चलने पर व्यक्ति पीछे की ओर झुक जाता है।
* गतिशील बस के अचानक रूकने पर व्यक्ति आगे की ओर झुक जाता है।
* कबल को पिटने पर धुल का गिरना. पेड़ की टहनी हिलाने पर फल का गिरना।
* लिफाफा पर बल लगाने पर उस पर रखे सिक्का का गिलास में गिरना।
* पत्थर से मारने पर कांच का टूटना और गोली से गारने पर कोच । में छेद हो जाना।
* घोडा के समान त्वरण.से चलने पर धडसवार घोड़ा के पीछे. मंदन से चलने पर घोड़ा के आगे और शून्य त्वरण से चलने पर घोड़ा के पिठ पर घुडसवार गिरता है।
(ख) न्यूटन का द्वितीय नियम (Newton’s Second Law) – संवेग में परिवर्तन की दर उस पर लगाए गए बल के समानुपाती होता है तथा सोग परिवर्तन की दिशा बल की दिशा में होता है ।
(a) संवेग (Momentumn) – किसी वस्तु के द्रव्यमान और वेग के गुणनफल को संवेग कहते हैं।
*संकेत – P
*राशि – सदिश …
*व्यंजक – संवेग = – द्रव्यमान x वेग
*मात्रक – kg m/s
*विमा – [MLT-1]
खास तथ्य
—- द्रव्यमान और संवेग से समानुपाती संबध है। अर्थात द्रव्यमान को दुगुणा करने पर सवेग दुगुना और संवेग को आधा करने पर संवेग आधा होता है।
—-संवेग और वेग में समानुपाती संबंध है ।
—-द्रव्यमान और वेग दोनो को दुगुना करने पर संवेग चार गुना और दोनो को आधा करने पर संवेग एक चौथाई हो जाता है।
(b) संवेग का जानकारी न्यूटन के द्वितीय नियमसे मिलता है !
(c) बल का सूत्र न्यूटन के द्वितीय नियम से मिलता है।
बल = द्रव्यमान × त्वरण
F = m×a
(d) आवेग (Impulse) – बल और समय के गुणनफल को आवेग कहते है। या संवेग में परिवर्तन को आवेग कहते हैं।
* राशि – सदिश
* सूत्र – आवेग = बल x समय
I = f × t
* मात्रक – kg m/s
* विमा – [MLT-1]
उदाहरण- खिलाडी कैच लेते समय हाथ को पीछे करता है क्योंकि समय बढ़ने पर हाथ में चोट कम लगता है।
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